समकालीन विश्व में लोकतंत्र लोकतंत्र के दो किस्से चीले जिंदाबाद ! चिलवासी जिंदाबाद ! मजदुर जिंदाबाद ! ये साल्वाडोर आयेन्दे के आखिरी भाषण के कुछ अंश है | वे दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के एक प्रमुख देश, चीले के राष्ट्रपति थे | यह भाषण उन्होंने 11 सितम्बर, 1973 की सुबह दिया था दिन फौज ने उनकी सरकार का तख्तापलट कर दिया था | आयेन्दे, चीले की सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक थे और उन्होंने 'पॉपुलर यूनिटी' नामक गठबंधन का नेतृत्व किया | 1970 में राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से आयेन्दे गरीबो और मजदूरों के फायदे वाले अनेक कार्यक्रम शुरू कराए थे | इनमे शिक्षा प्रणाली में सुधार , बच्चो को मुफ्त दूध बाटना और भूमिहीन किशानों को ज़मीन बाँटने के कार्यक्रम शामिल थे | उनका राजनैतिक गठबंधन विदेशी कम्पनियो द्वारा देश से ताम्बा जैसी प्राकृतिक सम्पदा को बाहर ले जाने के खिलाफ था | उनकी नीतियों को मुल्क में चर्च, जमींदार वर्ग और आमिर लोग पसंद नहीं करते थे | अन्य राजनैतिक पार्टिया इन नीतियों के खिलाफ थीं | 1973 का सैनिक तख्तापलट 11 सितंबर...
समकालीन विश्व में लोकतंत्र
लोकतंत्र के दो किस्से
चीले जिंदाबाद ! चिलवासी जिंदाबाद ! मजदुर जिंदाबाद !
- ये साल्वाडोर आयेन्दे के आखिरी भाषण के कुछ अंश है |
- वे दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के एक प्रमुख देश, चीले के राष्ट्रपति थे |
- यह भाषण उन्होंने 11 सितम्बर, 1973 की सुबह दिया था दिन फौज ने उनकी सरकार का तख्तापलट कर दिया था |
- आयेन्दे, चीले की सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक थे और उन्होंने 'पॉपुलर यूनिटी' नामक गठबंधन का नेतृत्व किया |
- 1970 में राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से आयेन्दे गरीबो और मजदूरों के फायदे वाले अनेक कार्यक्रम शुरू कराए थे |
- इनमे शिक्षा प्रणाली में सुधार , बच्चो को मुफ्त दूध बाटना और भूमिहीन किशानों को ज़मीन बाँटने के कार्यक्रम शामिल थे | उनका राजनैतिक गठबंधन विदेशी कम्पनियो द्वारा देश से ताम्बा जैसी प्राकृतिक सम्पदा को बाहर ले जाने के खिलाफ था | उनकी नीतियों को मुल्क में चर्च, जमींदार वर्ग और आमिर लोग पसंद नहीं करते थे | अन्य राजनैतिक पार्टिया इन नीतियों के खिलाफ थीं |
1973 का सैनिक तख्तापलट
- 11 सितंबर 1973 को चीले में जो कुछ हुआ उसे सैनिक तख्तापलट कहते है |
- इस बगावत की अगुवाई जनरल ऑगस्टो पिनोशे कर रहे थे |
- वायुसेना के प्रमुख जनरल अल्बर्टो बैशले और अनेक वे फौजी अधिकारी शामिल थे जिन्होंने तख्तापलट में शामिल होने से इंकार किया था |
- जनरल बैशेले की पत्नी और बेटी को भी जेल में डालकर काफी प्रताड़ित किया गया |
लोकतंत्र की वापसी
- पिनोशे का सैनिक शासन 1988 में तब समाप्त हुआ जब उन्होंने जनमत संग्रह कराने का फैसला किया |
- जनरल बैशेले की बेटी मिशेल बैशेले 2006 जनवरी से चीले की राष्ट्रपति है और समाजवादी रुझान वाली मिशेल पेशे से डॉक्टर है और लातिनी अमेरिका रक्षा मंत्री के पद पर आने वाली पहली महिला हैं |
पोलेंड में लोकतंत्र
- पोलेंड पर जरुजेलस्की के नेतृत्व में पोलिश यूनाइटेड वर्क्स पार्टी का शासन था |
- 14 अगस्त 1980 को गंदास्क शहर स्थित 'लेनिन जहाज कारखाना' के मजदूरों ने हड़ताल की |
- मजदूरों ने एक क्रेन चालक महिला को गलत ढंग से नौकरी से निकाले जाने के खिलाफ हड़ताल शुरू की |
- हड़ताल जारी रही और फिर पहले काम से निकला गया एक इलेक्ट्रिशियन बंदरगाह की दीवार लांघकर अंदर पंहुचा और हड़ताली कर्मचारियों के संग हो लिया |
- इस आदमी का नाम था - लेक वालेश और बहुत जल्दी ही यह हड़ताली कर्मचारियों का नेता बन गया |
- यह आंदोलन इतना लोकप्रिय हो गया की सरकार को हार माननी पड़ी | लेक वलेशा के नेतृत्व में मजदूरों ने सरकार के साथ 21 सूत्री करार किया और हड़ताल ख़त्म हुई |
- ग्डस्क संधि के बाद एक नया मजदुर संगठन 'सॉलिडारनोस्क' (जिसे अंग्रेजी में सॉलिडैरिटी कहते है ) बना |
- जनरल जरुजेलस्की के नेतृत्व वाली सरकार एकदम बौखला गई और उसने दिसंबर 1981 में मार्शल लॉ घोषित कर दिया |
- लेक वलेशा के साथ समझौता-वार्ता का एक और दौर चला और अप्रैल 1989 में जो समझौता हुआ उसमे स्वतंत्र चुनाव कराने की मांग मान ली गई |
- 1990 में पोलेंड में राष्ट्रपति पद के लिए पहली बार चुनाव हुए लेक वलेशा को पोलेंड का राष्ट्रपति चुना गया |
लोकतंत्र की दो विशेषताएं
- सिर्फ लोगो द्वारा चुने गए नेताओ को ही देश पर शासन करना चाहिए |
- लोगो को अभिवयक्ति की आजादी , संगठन बनाने और विरोध करने की आजादी जरुरी है |
- लोकतंत्र के विस्तार के विभिन्न चरण
- 1789 फ़्रांसिसी क्रांति
- उत्तर अमेरिका में स्थित ब्रिटिश उपनिवेशों ने 1776 में खुद को आजाद घोषित कर दिया था |
- 1787 में उन्होंने एक लोकतान्त्रिक संविधान को मंजूर किया लेकिन इस व्यवस्था में भी मतदान का अधिकार पुरुषों तक सिमित था |
- संयुक्त राज्य अमेरिका में पुरे देश में अश्वेतों को 1965 तक मतदान का अधिकार नहीं था |
- 1900 तक नूज़ीलैण्ड ही अकेला ऐसा देश था जहाँ के हर व्यस्क व्यक्ति को मतदान का अधिकार प्राप्त था |
हाल का दौर
- लोकतंत्र की दिशा में तेजी से काम लातिनी अमेरिका के अनेक देशों में लोकतान्त्रिक व्यवस्था की बहाली के साथ 1980 के बाद शुरू हुआ | 1990 के दशक में सोवियत संघ के बिखराव के साथ यह प्रकिया और तेज हो गई |
- आख़िरकार 1991 में सोवियत संघ भी खुद बिखर गया |
- 1999 में जनरल मुशर्रफ ने पाकिस्तान में फिर से सैनिक शासन कायम कर दिया |
- 2005 में नेपाल में नए राजा ने चुनी हुई सरकार को बर्खास्त कर दिया
- 2006 में संसद द्वारा राजा को नाममात्र का शासक चुना गया |
- 2008 में नेपाल लोकतान्त्रिक बना |
- म्यांमार , जिसे पहले बर्मा कहा जाता था यहाँ 1948 में ही औपनिवेशिक शासन से आजाद हुआ |
बाहरी समर्थन का सवाल
- इराक पश्चिमी एशिया का एक देश है | 1932 में यह ब्रिटिश गुलामी से आज़ाद हुआ |
- तीन दशक बाद यहाँ फ़ौज ने कई सरकारों का तख्ता पलटा |
- 1968 से यहाँ (अरब सोशलिस्ट बाथ पार्टी अरबी शब्द बाथ का मतलब होता है | पुनर्जागरण ) का शासन था |
- बाथ पार्टी के नेता सद्दाम हुसैन ने 1968 के तख्तापलट में महतवपूर्ण भूमिका निभाई थी और उसी से यह पार्टी सत्ता में आई |
- 1979 में राष्ट्रपति बनने के बाद से सद्दाम हुसैन ने अपनी तानाशाही चलाई और अपने शासन का विरोध करने वालों का सख्ती से दमन किया |
- 2003 में अमेरिका और उसके साथी देशों ने इराक पर हमला किया , उस पर कब्ज़ा कर लिया और सद्दाम हुसैन को सत्ता से हटा दिया | अमेरिका ने अपनी पसंद की अंतरिम सरकार बनवा दी |
- इराक के खिलाफ युद्ध को सुरक्षा परिषद् ने भी मंजूरी नहीं दी थी | संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफ़ी अन्नान ने
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