समकालीन विश्व में लोकतंत्र लोकतंत्र के दो किस्से चीले जिंदाबाद ! चिलवासी जिंदाबाद ! मजदुर जिंदाबाद ! ये साल्वाडोर आयेन्दे के आखिरी भाषण के कुछ अंश है | वे दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के एक प्रमुख देश, चीले के राष्ट्रपति थे | यह भाषण उन्होंने 11 सितम्बर, 1973 की सुबह दिया था दिन फौज ने उनकी सरकार का तख्तापलट कर दिया था | आयेन्दे, चीले की सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक थे और उन्होंने 'पॉपुलर यूनिटी' नामक गठबंधन का नेतृत्व किया | 1970 में राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से आयेन्दे गरीबो और मजदूरों के फायदे वाले अनेक कार्यक्रम शुरू कराए थे | इनमे शिक्षा प्रणाली में सुधार , बच्चो को मुफ्त दूध बाटना और भूमिहीन किशानों को ज़मीन बाँटने के कार्यक्रम शामिल थे | उनका राजनैतिक गठबंधन विदेशी कम्पनियो द्वारा देश से ताम्बा जैसी प्राकृतिक सम्पदा को बाहर ले जाने के खिलाफ था | उनकी नीतियों को मुल्क में चर्च, जमींदार वर्ग और आमिर लोग पसंद नहीं करते थे | अन्य राजनैतिक पार्टिया इन नीतियों के खिलाफ थीं | 1973 का सैनिक तख्तापलट 11 सितंबर...
सफलता के सार सूत्र
निश्चित ही मनुष्य-जीवन में जितना जरुरी दुखों व कष्टों से बचना है, उतना ही जरुरी सफलता के शिखर छूना भी है | क्योंकि यह बहुमूल्य जीवन किसी कीमत पर साधारण जीवन जीकर व्यर्थ नहीं गंवाया जा सकता | और फिर वैसे भी हर मनुष्य सफलता की चाह लिए जीता ही है तथा यह उसका जन्मसिद्ध अधिकार भी है | यह तो अपनी ही चन्द गलतियों तथा मेरी(मन) कार्यप्रणाली बाबत अज्ञानता के कारण पूरी मनुष्यता असफल हुई पड़ी है |
सो, मैं सीधे उन सारे उपायों पर बातचीत प्रारम्भ करता हुँ, जिन्हे समझकर व अपनाकर आप सफलता के शिखर छू सकते हैं |
- इंटेलिजेंस

शार्प मेमोरी या तर्क-क्षमता इंटेलिजेंस कतई नहीं
पिछले अध्यायों में मैंने कौन्सियस, सब-कौन्सियस तथा un-कौन्सियस माइंड बनने के कारणों तथा उन्हें कमजोर करने के उपायों पर काफी चर्चा की | साथ ही मनुष्य-जीवन में दुखों के उठने के कारणों और उसके निदान के उपायों पर भी काफी चर्चा मैंने की | लेकिन हर मनुष्य का एक सपना होता है कि वह जीवन में बड़ी सफलता पाए | तम्मन्ना अच्छी ही है, सो अब आगे वह अपने में किन गुणों को विकसित कर या किन बातों को अपनाकर सफलता पाने की अपनी तमन्ना को पूरी कर सकता है, उस बाबत भी आवश्यक चर्चा कर ली जाए |
और उस चर्चा को प्रारम्भ करने से पूर्व मैं आपका ध्यान प्रकृति व आपके बीच के फर्क की ओर आकर्षित करना चाहूँगा | दोनों में सबसे बड़ा फर्क समय व शक्ति को लेकर है | जहां प्रकृति का अरबों वर्ष का इतिहास है, वहीं आपके पास बमुश्किल अस्सी या सौ वर्ष है | और उसमें भी बचपन, बुढ़ापा और जवानी के हजार रोने हैं | रोज के आठ घंटे की नींद है | यानी वास्तव में तो आपके पास समय है ही नहीं | वैसे ही शक्ति की बात करूं तो सूरज चमक रहा है, पृथ्वी घूम रही है, हवाएं बह रही है ; अर्थात पूरी-की-पूरी प्रकृति कभी न चूकनेवाली ऊर्जा से भरी पड़ी है | वहीं दूसरी ओर आपकी ऊर्जा के बाबत तो कुछ बहुत ज्यादा कहने की जरुरत नहीं |
...फिर भी आश्चर्य यह कि यहां सबकुछ महत्वपूर्ण करता इन्सान ही जान पड़ता है | कला हो या साहित्य या विज्ञान ; सबकुछ इन्सान की ही उपज है | और यह बात भी एकदम सही है | इसमें भी कोई दो राय हो ही नहीं सकती है | लेकिन यहां समझने लायक बात यह कि ये सारे चमत्कार सम्पूर्ण मनुष्य-जाति नहीं कर रही है | यह तो चंद हजार लोगों की बात हुई | तो ऐसा क्यों कि कुछ लोग तो प्रकृति को भी चौंकाने वाले काम कर के दिखा रहे हैं, तो वहीं बाकी अधिकांश मर-मरकर जीने को मजबूर हैं ? ऐसा क्यों कि चन्द लोग सफलता के शिखर छूए चले जा रहे हैं, और दूसरी ओर बाकियों का जीना-मरना एक ही बात होकर रह गई है ?
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"पानी का फॉर्मूला जांनने वाले से पानी का उपयोग पहचानने वाला ज्यादा इंटेलेगेंट है"
दरअसल ऐसा मनुष्य द्वारा अपने समय व शक्ति के उपयोग के तरीके की भिन्नता के कारण है| मैं कह ही चुका हूँ और आप भी जानते ही हैं कि समय और शक्ति इन दोनों चीजों की हर मनुष्य के पास बेहद कमी है | और उस पर भी कोई इन दोनों के दुरूपयोग पर ही उतर आये तो आप ही बताईये उसके जीवन का क्या हाल होगा ? बस वो ही सौ में से निन्यानवे लोगों का हो चुका है | यानी दूसरे शब्दों में कहूं तो समय व शक्ति का उपयोग करते न आना ही मनुष्य की असफलता का राज है |
अब सवाल यह कि मनुष्य अपने समय व शक्ति का उपयोग करना कैसे सीखे ? ...तो उस हेतु यह बताओ कि वह क्या है जो मनुष्य को प्रकृति की तमाम वस्तुओं से भिन्न साबित करता है ? लो...इतना भी नहीं जानते ? अरे, एक उसका मन यानी मैं और दूसरी उसकी बुद्धि | और इन्ही दोनों की बदौलत वह प्रकृति की तमाम वस्तुओं से अलग, निराला तथा महत्वपूर्ण है | और आगे इसी सन्दर्भ में मन और बुद्धि का फर्क समझाऊ तो, "बुद्धि" वह जो कुछ क्षेत्र में लाख उपयोगी होने के बावजूद अधिकांश चीजों में तो वह समय व शक्ति का दुरूपयोग ही करवाती है | जबकि मेरे तल पर एक इंटेलिजेंस नाम की वस्तु है जिसका ध्यान सिर्फ समय व शक्ति को बचाने में लगा रहता है | लेकिन दुर्भाग्य से उस इंटेलिजेंस का ठीक तरह से उपयोग बहुत कम लोग कर पाते हैं | और यह स्पष्ट समझ लें कि आपके पास समय व शक्ति बचेंगे तो ही आप कोई बड़ा काम कर पाएंगे |
कुल-मिलाकर मेरे कहने का सीधा अर्थ यह कि मनुष्य-जीवन में कोई भी सफलता पाने के लिए उसे अपनी इंटेलिजेंस को सक्रिय करना जरुरी है | और यह इंटेलिजेंस सब मनुष्यो में समान रूप से उसके मन की तह में यानी मेरे तल पर छिपी ही होती है |
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agar aap or jyada padhna chahte hai to main man hu is book ko padhe jo deep trivedi dwara likhi gai hai thanks. baki main isme samay samay par or post dalta rahunga
Kaif29261@gmail.com
ReplyDeletehello, yes
DeleteNice esa hi or dalo bhai
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